मध्यांतर तक : जबरजस्त
मध्यांतर बाद : दर्शक की परीक्षा
फिल्म रिव्यु : ऋषि दवे
Published By : Aarti Machhi
जैसे कौन बनेगा करोड़पति में AB है एसा पुष्पा में अल्लू अर्जुन है । देवी श्री प्रसाद संगीतकार ने DJ को भी चैलेंज दे एसा धमाकेदार संगीत पेश किया है । मेरी धड़कन श्रीवल्ली (रश्मिका मंदाना) ने कह दिया की CM (चीफ मिनिस्टर) के साथ फोटो खिंचवाना तो बात खत्म । CM ना बोलेगा तो उसकी खुर्सी गई । वास्तव में तख्ता पलट कर सकता है पुष्पा राज ।
लाल चंदन का हजारों टन लकड़ा जंगल से बॉर्डर पार करके सड़क, पानी, अंडरवोटर कैसे भेजा जा सकता है उसके एरीयल शॉट और मीरोस्लो ब्रोझेककी सिनेमैटोग्राफी अद्भुत है ।
इंडियन पोलिस सर्विस का भंवरसिंह शेखावत (फहाद फासिल) पुष्पा को टक्कर देने में कोई कसर नहीं छोड़ता।
हिंदी फिल्मों में हीरो की एंट्री धमाकेदार दिखाई जाती है, यही ट्रेंड साउथ फिल्मों में अकल्पनीय स्टंट के साथ दिखाते हैं । वैसे ही हाथ पैर रस्सी से बंधे हुए होते हैं, फिर भी पुष्पा हवा में कैसे उछलकर शस्त्रधारी को मात करता है । वह समझ के बहार रहेता है फिर भी दर्शन चकनाचूर होकर देखता रहता है ।
संवाद ऐ.आर.प्रभाव और श्रीकांत वीसा ने लिखे है जो फिल्म देखो तब इतनी बेखूबी से पुष्पा राज ने, श्रीवल्लीने, शेखावतने, सी एम नरसिम्हा रेड्डी (आडूल कलाम नरेन), श्रीतेज ( पुष्पा का भाई), जापानीज ट्रांसलेटर (सत्या), जक्का रेड्डी (सम्मुख), न्यूज़ रिपोर्टर (देवी वदथया) ने असरकारक रीत से पड़दे पेश किये है |
पुष्पा के गाने के बारे में लिखना मुश्किल है। कोरियोग्राफी लाजवाब है। ऐसे भड़किले रंग के शर्ट, लूंगी, आज तक फिल्म में देखने को नहीं मिले हैं। अंत में युवा पीढ़ी फिल्म देख के क्या शीख लेगी? यह यक्षप्रश्न सालों तक रहेगा । दिग्दर्शक सुकुमार को दो हाथ जोड़कर विनंती करता हूँ कि पुष्पा 3 मत बनाना क्योंकि 2 की फिल्म अवधि सवा तीन घंटे की है और दर्शक तृप्त और त्रस्त हो जाता है ।