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फिल्म : लोचा लापसी,सुरती लोचो और शुद्ध घी की लापसी में भरपूर सस्पेंस और मनोरंजन है

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બીજી મા સિનેમા : ઋષિ દવે

Published By : Aarti Machhi

भास्कर जोशी (મલ્હાર ઠાકર) (बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग) ગોલ્ડ મેડાલિસ્ટ આવડત બુદ્ધિ અને ચાતુર્યથી एक ऐसा डिवाइस बनाया जो कोई भी लॉक खोल सकता है | यह डिवाइस कि कीमत 10 लाख रुपया | भास्कर जोशी को नखत्राणा में एम.आर.सी. प्राइवेट लिमिटेड कंपनीने डेमोंस्ट्रेशन के लिए आमंत्रित किया है| इस वजह से भास्कर जोशी गणातरा नाम के ड्राइवर के साथ कार में एक बेग में डिवाइस रखकर बैग को अपने दो पैर के बीच में दबाकर गाड़ी की आगे की शीट पर बैठता है, ड्रायवर को कैसे नखत्राणा पहोंचने के लिए कार चलानी है और कितना अंतर, कितनी देर में कितनी स्पीड से गाड़ी चलाकर काट सकते हैं उसका गणित समझाते समझाते दोनों सफर तय करते हैं और एकाएक गाड़ी के एक साइड के आगे और पीछे के व्हील में पंचर पड़ता है कार को धक्का देते होटल के बाहर पंचर वाले के पास पहोंचते हैं| पंचरवाले के पास टायर की ट्यूब नहीं है जो शहर से मंगाने में ढाई घंटे लग सकते हैं| भास्कर जोशी को नखत्राणा पहोंचना जरूरी है| इतने में एक कार में बैठने वाला कहेता है मैं नखत्राणा जा रहा हूं| भास्कर जोशी उससे लिफ्ट मांगता है, वह साफ शब्दों में मना कर देता है | भास्कर जोशी के लिए नखत्राणा पहुंचना अत्यंत आवश्यक है देर से पहुंचेगा तो डिवाइस का डेमोंस्ट्रेशन देखने वाली पार्टी हाथ से निकल जाएगी| जो आदमी भास्कर जोशी को मना करता है उससे अपनी कार की चावी कार के अंदर रहे गई और दरवाजा बंद हो गया| वह पंचरवाले को बोलता है दरवाजा खोल दे| पंचरवाला एक फुटपट्टी काच में डालकर खोलने आता है |

भास्कर जोशी चिल्लाते हुए कहते हैं कार पर स्क्रैचीस पड़ जायेगे| भास्कर जोशी का ड्रायवर कार चालक को कहेते है भास्कर जोशी के पास एक डिवाइस है इससे कार का दरवाजा वह खोल सकते हैं| भास्कर जोशी कहते हैं मैं दरवाजा खोल दूं मुझे नखत्राणा तक ले जाना पड़ेगा | डिवाइस से दरवाजा खुलता है | भास्कर गाड़ी में बैठता है | भास्कर जोशी कार चालक का नाम पूछता है| वह अपना नाम साश्वत बताता है| गाड़ी की पिछली शीट पर बड़ी पेटी थी इसमें लाश है एसा शाश्वत भास्कर जोशी को बोलता है और चुपचाप बैठे रहो वरना कहके पिस्तौल दिखाकर डरा देता है |

रास्ते में चेकपोस्ट आता है| पुलिस ऑफिसर भास्कर जोशी का आई कार्ड की डिटेईल लेता है और एक मैडम को गाड़ी में बीठाता है और कहते हैं यह मैडम मिश्रुता चौधरी(વૈભવી ઉપાધ્યાય) है। पोलिस इंस्पेक्टर रघुवीरसिंह चौधरी की वाइफ है| चेकपोस्ट गाड़ी पेट्रोल पंप पहोंचती है | भास्कर इस चुंगाल से बचने के लिए दरवाजा खोलकर भागना चाहता है| शाश्वत उसे पकड़ लेता है और गाड़ी में बैठ जाता है | मिश्रुता शाश्वत के पास से सिगारेट लेती है, जलाती है, उसके गले में हाथ डालती हैं | भास्कर जोशी दंग रह जाता है| वह किसी भी तरह गाड़ी में से भागने की सोचता है| गाड़ी रेलवे फाटक पर खड़ी रहेती है| भास्कर जोशी दरवाजा खोलकर भगता है| भागते भागते वह उबड़ खाबड़ रास्ते से किसी भी तरह पुलिस थाना देखता है वहां पहुंचता है और उसने मर्डर, गाड़ी मे लाश, लड़की, ड्रायवर शाश्वत ऐसा तूटक तूटक शब्दों में बोलता पुलिस इंस्पेक्टर के सामने बैठता है – कहता है पी.आई रघुवीर सिंह चौधरी की लाश गाड़ी की बड़ी पेटी में है| पी.आई रघुवीरसिंह चौधरी टेबल पर रखी हुई अपनी नेमप्लेट बताता है| उस पर लिखा है पुलिस इंस्पेक्टर रघुवीरसिंह चौधरी जो गाड़ी का वर्णन भास्कर जोशी करता है वह गाड़ी पुलिस थाना में खड़ी है| गाड़ी में से पेटी निकाल कर देखते हैं तो उसमें लाश है शाश्वत की |

इंटरवल आगे और भी ट्वीस्ट पर ट्वीस्ट आते हैं| पहेली गुजराती फिल्म है जिसमें दर्शक को एक भी गाना सुनने को नहीं मिलेगा, जो भी अछंदास है इसको स्वरबध्ध कर स्टोरी का वर्णन भरपूर मनोरंजन के साथ कीया है| जिगर चौहाण और मल्हार ठाकर ने लोचा लापसी प्रोड्यूस की है| दिग्दर्शक सचीन ब्रह्मभट्ट को सो सो सलाम |

फिल्म देखेंगे तो सूरत का लोचा और शुद्ध घी से बनी बदामपिस्ता चारोली से लसलसनी लापसी को आनंद हन्ड्रेड परसेंट मीलेगा |

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