બીજી મા સિનેમા : ઋષિ દવે
फिल्म प्रोड्यूस करने में आमिर खान Champion है। सितारे जमीन पर फिल्म Champion फिल्म की स्टोरी पर से Dyslexia रोग से पीड़ित भारतीय परिवार में दिव्यांग बच्चे हैं उन्ही पर दर्शाइ गइ है |
गुलशन अरोड़ा (आमिर खान) शराब पी कर गाड़ी चलाने के जुल्म में महिला न्यायाधीश (अनुपमा मंडल) के सामने पेश किये जाते है | गुलशन बास्केटबॉल के जाने-माने कोच होते हुए उसे कोम्युनिटी सर्विस में दिव्यांग लड़के की टीम बनाकर उन्हें ट्रेनिंग देने के लिए तीन महीने की सजा होती है |
दिव्यांग टीम के प्लेयर है :
लोटस (आयुष भनशाली), गोलु (सिमरन मंगेशकर), गुड्डु (गोपी क्रिश्ना वर्मा), सुनील (आशीष पेण्डसे), राजू (रीशम जैन), शर्माजी (रीशी शहानी), शतबीर(आरुष दत्ता), बन्टू (वेदांत शर्मा), करीम (समवीत देसाई), हरगोविंद (नमन मीश्रा) यह टीम पसंदगीकार अनमोल आहूजा और तेस जोसेफ को सलाम |
सभी दिव्यांग की अपनी अपनी कहानी है, गुलशन एक के बाद एक परिवार से मिलता है और बच्चों की खासियत उनकी भाषा, उनके संकेत, हावभाव, पसंद-नापसंद का अभ्यास करता है और साथ में उन्हें बास्केटबॉल के ग्राउंड में कैसे टीम बनाकर गोल करके जीत हांसिल करनी है वह शिखाता है |
गुलशन ने लव मैरेज सुनीता (जेनेलिया देशमुख)से किया है, जो एक्ट्रेस बनना चाहती है, लेकिन उनकी मां की रेडीमेड गारमेंट्स की शॉप में जॉब करनी पड़ती है| गुलशन पत्नी के साथ न रहकर अपनी माँ के साथ रहेता है, जो अपने बॉयफ्रेंड बिजेंद्र काला को अपने घर में रखती है जो गुलशन को बिल्कुल पसंद नहिं है |
सितारे जमीन पर मैं शुरू से अंत तक गुलशन को काम देने वाला गुरपाल सिंघ दिव्यांग बच्चों के बारे में पूर्ण रूप से महितगार कराता रहेता है| उनके संवाद हंमेशा गुलशन को प्रेरणा देते हैं| गुलशन की माँ (डोली आहलुवालिया) गुलशन के अच्छे, बुरे वक्त में हमेशा उनकी ढाल बनकर खड़ी रहेती है |
सितारे जमीन पर के दिग्दर्शक आर.एस. प्रसन्ना को क्रिटिक एवॉर्ड मिलना ही चाहिए | स्टोरी राइटर दिव्य निधि शर्मा Dyslexia रोग के लक्षणों का अभ्यास करके उस पर कथा लिखी है | एडिटर चारु श्री रॉय लाजवाब।
संवाद जो स्मरणपट पर अंकित हो गये :
- कोई किसी को घर से नीकालने के लिये लव मैरेज करता है क्या ?
- मुझे एक छोटा गुलशन चाहिए |
- मैं सास तू हवा, कुछ ना तेरे सिवा (गीत)
- तुम कभी भी किसी का Point of view नहीं समझते, अपनी मनमानी ही करते हो |
- जो बाकी लोगों से अलग होते हैं उसके लिए तो लड़ना पड़ता है |
- मैं उनका कोच नहिं, ये लड़के मेरे कोच है |
- खुद को इस बच्चों से ज्यादा Intelligent मत समझना |
- हफ्ते में एक दिन, हफ्ते में हर एक दिन |
तारे ज़मीन पर में दर्शक रोये थे| सितारे जमीन पर में दर्शक हसते-हसते रो पड़ते हैं मालूम ही नहिं पड़ता |
Hats off to Aamir Khan and all ten Basketball Divyang Children.