બીજી મા સિનેમા : ઋષિ દવે
Published By : Aarti Machhi
આજથી 40 વર્ષ પહેલા મેં હાંસલ કરેલી સિદ્ધિ માટે મને અર્જુન એવોર્ડ કેમ ન આપ્યો ? આ કારણસર મારે પોલીસ સ્ટેશનમાં ફરિયાદ નોંધાવવી છે. મારું નામ મુરલીકાન્ત રાજારામ પેટકર. આરોપીના નામ લખો. ભારતના રાષ્ટ્રપતિ વી. વી. ગીરી, ફારૂખ અબ્દુલ્લા, ઝૈલસિંગ, નીલમ સંજીવની રેડ્ડી, વૈકટરામન. આ છે મને મળેલા ચંદ્રકો, એમ કહીને પોલીસ ઇન્સ્પેક્ટરના ટેબલ પર એવોર્ડ મુકેલા નજરે પડે છે.
પોલીસ ઇન્સ્પેક્ટર સચીન કામ્બલે (શ્રેયસ તલપડે) મુરલીકાન્તને કહે છે અર્જુને એવોર્ડ નહીં આપ્યો તો એની પર કેસ કરાય, આમાં ભારતના રાષ્ટ્રપતિઓનો શો વાંક? આ વાત સાંભળતો જેલનો કેદી (બિજેન્દર કાલા) ઇન્સ્પેક્ટરને કહે છે, અર્જુન એ એવોર્ડનું નામ છે, જે સ્પોર્ટ્સમાં ઉત્કૃષ્ટ દેખાવ કરનારને આપવામાં આવે છે. અર્જુન એવોર્ડ મેળવીને તારે શું કરવું છે? મારી બાજુનું ગામ ખરાસ એમાં રહેતા શ્રી ભોસલેને સાહિત્યક્ષેત્રે એવોર્ડ મળ્યો તો ગામની સીકલ બદલાય ગઈ. પાણી, વીજળી, રસ્તા, નિશાળ, દવાખાનાની સગવડ રાતોરાત આવી ગઈ. મારુ મહારાષ્ટ્રનું સાંગલી ગામ, મને અર્જુન એવોર્ડ મળે તો ખરાસ ગામ જેવી બધી સગવડ મારા ગામના લોકોને મળે.
એવોર્ડ મેળવવા ઓલમ્પિક એવોર્ડ જીતવો પડે, એ જીતીએ તો…
पुरा देश कंधे पर बीठाता है, सो बैलगाड़ी , दस हजार लोग जब रेलगाड़ी के डिब्बे के दरवाजे पर खड़ा होता मैं सांगली स्टेशन पर पहोचुगा तो चारो ओर जय जयकार होगा | मुरली पेटकर के नारे लगेंगे | यह सब देखकर एक और बच्चा ओलम्पिक में जाने के लिए तैयारी करेगा | वास्तव में जब मैं छोटा था, स्कूल में मास्टरजी सबको पूछते थे, बड़े होके क्या बनोगे | किसीने डॉक्टर कहा,किसीने फौजी में जाकर सैनिक कहा | मैंने कहा मैं ओलम्पिक में जाऊंगा | तब मेरे साथी विद्यार्थी मेरी मजाक उड़ाते, कहते थे यह गीलीडंडा खेलमें ओलम्पिक में जायेगा | मैं कुश्ती के अखाड़े में गया | गणपतराव जो सबको दावपेच शीखाते थे उनके पैर में पड़ गया |उन्होंने मेरी परीक्षा ली और बोले यह सींगदाना का छिलका नहीं है, उसके अंदर मटर भी पड़ा हुआ है । बाजु के गांव में कुश्ती की हरीफाई हुई | उसके सामने हार जाने के लिए मुझे भेजा गया | में जीता, गांव के लोग मुझे मार डालने के लिए आये | मैं भागा… यही भागना मुझे ओलम्पिक की दिशामें ले गया | मैं चलती रेलगाड़ी में चढ़ गया और फौज में भर्ती हो जाऊंगा तो ओलम्पिक में पहुंच सकता हूं, मैं जी जान से फौजी बन गया | सिकंदराबाद में मेजर उत्तमसिंघ ( यशपाल शर्मा)ने ट्रेनिंग दी | वहां मेरी हाथापाई हुई | मुझे निकाल ही देने वाले थे | तब मैंने मेजर को बताया कि में भारत के लिये ओलम्पिक में गोल्ड मेडल लाना चाहता हूँ | मुझे टाइगर अली (विनय राझ) के पास विशिष्ट तालिम के लिए भेजा गया | जापान ओलम्पिक में सिलेक्ट हुआ | टोक्यो ओलम्पिक मैक्सी टोक्यो में टीवी रिपोर्टर नयनतारा से पहचान हुई मुझे Wonder Boy Of India बीरूद मीला | में जहां भी प्रतियोगीता होती भारत की और से खेलता | एशियाई गेम्स में युगांडा के बॉक्सर ने मुझे हरा दिया | मेरे कोच टाइगर अली मुझसे रूठ गये |
मेरी पोस्टिंग काश्मीर में हुई | हमारे केम्प पे आतंकी हमला हुआ| मुझे नव गोली लगी | मैं जिंदा रहा | मुझे मुंबई की INHS अस्पताल में अव्वल दर्जे के डॉक्टरो पास भेजा गया | वहां मुझे टोपाज़ (रामपाल यादव) मिला | नर्स (दिलनाज ईरानी) मिली | वहां जो हुआ उसके बारे में मैं कुछ नहीं कहूंगा | फिल्म देखो बहुत दिलचस्प मोड़ है |चंदू चैंपियन को बॉक्सिंग से हटकर स्विमिंग में जाना पड़ता है और उसमें वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के बाद अर्जुन अवार्ड से एक कदम आगे का एवॉर्ड मिलता है | फिल्म के गाने अरिजीत सिंहने गाये है, डांस भी बिल्कुल अनोखी जगह पर अनोखे अंदाज में है | सच्ची कहानी को पर्दे पर इतनी रसप्रद तरीके से बनाने वाले दिगदर्शक कबीर खान को नतमस्तक प्रणाम |